स्पर्श चिकित्सा (आलेख _ रवि कात मिश्र )
स्पर्श का अर्थ अपनी सकारात्मक ऊर्जा को दूसरे पिंड में प्रवेश कर उसे सकारत्मक रूप से चार्ज कर देना । हम सभी के बचपन में यह घटना तो समान्य रही होगी कि जब हम किसी कारण वश नींद में डर जाते थे और चीख मार कर उठ जाते थे तो पहला शब्द मॉ मुख से निकलता था । फिर मॉ आती थी और सिर पर हाथ फेरती बोलती सो जा । और हम सो जाते थे । क्या था उस स्पर्श में??? एक विश्वास और प्रेम ही तो था । जो मां की उंगलियों से हथेली से निकल कर हमारे माथे को स्पर्श करता था और हमारे मन से डर को भगा देता था । स्पर्श की अपनी भाषा होती है जहां शब्दो की आवश्यकता नही है । पिता का स्पर्श। दीदी का स्पर्श, बडे भाई का स्पर्श , मित्र का स्पर्श, प्रेमी का स्पर्श , स्कूल टीचर का स्पर्श और सदगुरू स्वामी राम कृष्ण जी स्पर्श । कैसा अद्धभुत स्पर्श रहा होगा । जो नरेन्द्र,को नरेन्द्र से स्वामी विवेकानंद में रूपांतरित कर गया । मैं इस लेख में सकारात्मक स्पर्श की बात कर रहा हूं । वैसे स्पर्श नकारात्मक भी होता है जिसकी चर्चा यहा नही कि जा सकती है । आज सकारात्मक स्पर्श की बहुत आवश्यकता है । जिस तरह हमारे दैनिक जीवन में तनाव कुंठा का...