सफर अभी बाकि है
इश्क में धडकनो का ना धड़कना जिन्दगी की सबसे बडी त्रासदी । यह त्रासदी रब की बनाई दुनियां में हर रोज होता है । बिना इश्क के धडकते दिल ना जाने कहां कहां नफरत के निशां छोड़ते गुजर जाते है और अब भी गुजर रहे होगें। उनको कोई सज़ा भी नही होती क्यो कि उनकी जिन्दगी खुद अपने आप में एक सज़ा है । वह अपनी जिन्दगी के खुद कैदी है और जिन्दगी उनके लिए वो अंधेरी काल कोठरी है जिसका एक सिरा मौत की दुनिया में जा कर ठहर जाता है ।परंतु अ अलग था उसकी दुनियां अलग थी । अ जीता था या यु कहे कि अ के जरीये जिन्दगी अपने सफर पर थी । अ का पुरा नाम आनंद था । के आनंद था । अ इश्क में था ,इश्क के लिए था ,इश्क के साथ था, इश्क से मिलता था ,,इश्क से बाते करता ,इश्क के साथ साथ पंगडंडी पर चलता ,फिर उससे दूर भागता और फिर दूर जा कर इश्क के लिए तडपता और फिर इश्क के लिए भटकता, उसे फिर उसी गली उसी मोड ,उसी पेड तले ,,उसी नदी के किनारे ,काले बडे से पत्थर पर जहां उन दोनो के एहसास पत्थर के दिलो में धड़क रहे थे । वो पत्थर पर लेट जाता और उसके दिल की धड़कन को सुनने की कोशिश करता । कुछ समय तक खामोश पडा रहता पत्थर पर ,जैसे पत्थर में उसकी सारी दुनियां समा गई हो । कुछ समय के बाद वह पत्थर को चुमता और कहता तु भी मेरी तरह हो गया । अब मै तुझे और तु मुझे कभी नही भूल सकता । हम एक साथ एक दूसरे से दूर हो कर भी साथ साथ चलते रहेंगे तुम मेरे भीतर चलना मैं तुम्हारे भीतर चलता रहूंगा। तुम मेरे इश्क की धड़कन को सुनना मैं तुम्हारे इश्क की धडकनो को सुनता रहूंगा। ऐसा है अ यानी के आनंद , कहता है अपने जीत से, देख जीत जिस दिन मेरा दिल बिना इश्क के धड़कना शुरू कर दिया ना उस दिन समझना k जिन्दा रह गया और आनंद मर गया । क्या है k एक शरीर और आनंद क्या है उस शरीर में बहती हुई नदी जो अपने इश्क में बहती जा रही है । नदी सुख गई तो k क्या करेगा ? बस नदी के दो किनारे बन कर रह जायेगा । जीत तु समझ रहा है ना ,,हां तु ही समझ सकता है ,,तु भी तो वही है ,जो मैं हूं ,पर सुशी नदी पर बांध बनाना चाहती है । उसका सारा पानी अपने नाम कर लेना चाहती है। मैने कहा पर तु ही बता पानी को मौत की सज़ा दे कर उसे अपने पास क्यो रखना चाहती हो ? सुशी कुछ नही बोली बस बांध बनाने के सपने देखने लगी । जीत मै भाग आया हूं पर उसके पास जाने के लिए तडप रहा हूं परंतु जाना भी नही चाहता । इस लिए उसके एहसास को फिर से एक बार जी रहा हूं। हर उस धड़कन को फिर से महसुस करना चाहता हूं ।बीते हुए लम्हो को फिर से एक बार और जीना चाहता हूं क्यो कि सफर अभी बाकी है । इससे पहले नदी मेरे भीतर मोड ले ले और मै उसकी चाह में भटकने लगूं । उससे पहले वह सबकुछ अपने भीतर की नदी में घोल लेना चाहता हूं। ताकि मेरे मिट्टी में उसकी महक समा जाये । मै सफर पर रहूं और वह मेरे भीतर सफर करती रहे । अ सचमुच सबसे अलग था या फिर वही था जो होना चाहिये । एक सदाहरण सा पेड जिस पर इश्क के फुल खिलते ,इश्क के पंछी आते घोंसला बनाते अपनी यादे पेड की टहनियो पर ,फुलो पर, पत्तों पर, अपने चोंच से कुरेद कर बनाते और फिर उड़ जाते । पेड उन सबो की यादो को अपने जिस्म ,अपने मन अपनी आत्मा के साथ जोड़ लेता उसका कद बड जाता उसकी जिन्दगी और बडी हो जाती है। फिर उसे भटकना होता ,इश्क के मौसम का वह इंतजार करता । फिर कोई इश्क का पंछी किसी मोड पर उससे मिल जाता और दोनो साथ साथ चलने लगते । अ ऐसा ही था ,,नही गलती हो गई अ अब भी ऐसा ही है । वह जब भी वापस घर लौटता है तो उस स्कूल से मिलने जरूरू जाता है जहां वह पढते हुए उस मैडम के करीब आ गया था जिसे वह चोरी चोरी पत्र तो लिखता था पर कभी पत्र उसे देता नही था । वह हमेशा अपने जज्बात को दूसरो से छुपा कर रखना चाहता था। यह सिलसिला तीन सालो से चल रहा था ।मैडम की क्लास और क्लास में अ की ऑखे मैडम को एकटक देखती हुई ना जाने किस दुनियां में खो जाती थी । कई बार मैडम ने अ से सवाल किये पर अ क्लास में हो तो जवाब दे । बेचारे को डांट पडती और कभी कभी क्लास से बाहर खडा भी होना पड जाता था ।पर अ को कोई शिकायत नही थी । वह मैडम की दी हुई सज़ा को गिफ्ट समझता था । मुस्कुराते हुए बाहर खडा हो जाता। मैडम को थोडी देर बाद अ पर दया आ जाती उसे वह वापस क्लास में बुला लेती । अ क्लास में चुपचाप सिर झुकाये आता और वापस अपनी सीट पर बैठ जाता । उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रहती । इसके साथ अ मैडम की वो चॉक बैल्क बोर्ड के पास से उठा लेता था जो मैडम की उंगलियों से बोर्ड पर लिखते हुए टूट कर जमीन पर गिर जाते थे । अ चोरी चोरी उन चॉक को उठा कर अपने शर्ट की जेब मे रख लेता था ।जिस जेब के पीछे उसका दिल धडकता था । एक दिन मैडम अपना पेन टेबल पर भूल कर चली गई और अ ने उस पेन को बडी सफाई से उठा कर अपनी जेब में रख लिया पर जीत की नजरों ने अ को यह काम करते हुए देख लिया था। जीत चुप रहा । पेन मंहगी थी ।मैडम दूसरे दिन क्लास में आई अपने पेन के बारे में पुछी । पर अ चुप चाप रहा । मैडम बार बार पूछती रही पर अ कुछ नही बोला । मै जानता था कि अ के पास पैन है पर मैं भी चुप रहा । मैडम निराश हो कर चली गई । स्कूल की छुट्टी के बाद जब मैने अ से पुछा कि तुमने मैम को पेन क्यो नही वापस किया? मै जानता हूं कि पेन अब भी तुम्हारे बैग में है । इस पर अ मुस्कुरा कर बोला मै जानता था कि तु जानता है । कल तुमने मुझे पेन उठाते हुए देख लिया था पर मुझे मालुम था कि तु यह बात मैम को नही बतायेगा । देख तु गलत कर रहा है मै मैडम को कल बता दूंगा। जीत तु मुझे दुख में नही देख सकता तु चुप रहेगा ।पर अ मैं जानता हूं कि तेरे पास कीमती पेनो की कमी नही ,फिर मैडम की पेन अपने पास क्यो रख लिया तुने । यह सुन वह मुस्कुराते हुए बोला यार बस रख लिया । मैं तो हर वो चीज अपने पास रखना चाहता हूं जिसे मैडम एक बार छु लेती है । वो बैल्क बोर्ड ,वो डस्टर ,वो किताब ,वो बोतल जिससे मैम पानी पीती है । सब मै अपने पास रख लेना चाहता हूं। देखना एक दिन मैम का पानी का बोतल जरूरू चुरा लूगां। मै समझ गया था कि अ यह काम जरूरू कर दिखायेगा । उसने मैम का बोतल चुरा लिया । मैम उस दिन भी बहुत बोली की वह बोतल कीमती है ,,तांबे की है । अगर कोई ले गया है तो वापस कर दे । पुरा क्लास यह सुन खामोश रहा । किसी को नही पता था कि चोरी किसने की है । मैं इस बार भी चुप रहा दोस्ती के लिए ,मेरे पास चुप रहने के सिवाये और क्या चारा था ?बेचारी मैडम एक बार फिर क्लास से निराश हो कर चली गई । मैने सुना कि यह बोतल वह पैन मैडम के पति देव ने उनको भेट दी थी । जो यहां से दूर दूसरे शहर में किसी कालेज में पढ़ाते है । यह बात जब मैने अ को बताई तो अ यह सुन मुस्कुरा दिया । मैने बार बार उससे कहा की देख तु मैडम का पेन और बोतल वापस कर दे ,पर अ इसके लिए तैयार नही था । मैने उससे कई बार पुछा कि तु इन समानो का क्या करता है ? तो अ बोला वही करता हूं जो मैडम करती थी बोतल से वैसे ही पानी पीता हूं जैसे मैम पीती थी । और कलम से लिखता हूं उनकी कलम से उनको ही लैटर लिखता हूं । क्या तु मैम को लैटर लिखता है ?अबे स्कूल से निकाला जायेगा । अगर तुने मैडम को लैटर दे दिये तो भूचाल आ जायेगा । अबे यह सब कालेज में कर लेना अभी तो बेटा पढ ले । वह मै पढ लूगां मेरे नंबर कभी कम आये है । सचमुच अ के नंबर हमेशा ठीक ठाक आ जाते थे। मुझे डर था कि कही यह भावना मे बह कर मैम को लैटर ना दे दे । उसे बहुत ज्ञान दिय पर सब बेकार साबित हुआ । वह वही कर रहा था जिसकी इजाज्त कोई सभ्य समाज नही देता । उसके पास उसके लिखे पत्रों का एक लिफ़ाफ़ा था जिसमे सिलसिलेवार तरीके से पत्र रखे हुए थे । वो रोज अपने लिखे पत्रों को पढता और फिर उसे अपने तकिया के नीचे रख सो जाता था । एक दिन उसकी दादी के हाथ पत्र लग गये। जब वह स्कूल गया हुआ था । दादी ने तकिया को उसके खोल से अलग किया तो पत्र का बड़ा सा लिफाफा नीचे फर्श पर गिर गया । दादी ने सारे पत्र पढे और चुप चाप वैसे ही रख दिये जैसे पहले रखे हुए थे । बस इतना ही किया कि तकिये का खोल बदल दिया । उस रात अ को यह एहसास होगया था कि दादी ने उसके पत्र पढ लिए है। क्यो कि पत्र लिफाफे में सिलसिलेवार तरीके से नही रखा हुआ था । उस दिन से पत्र रखने की जगह उसने बदल दी। अब पत्र वह अपने छोटे से बक्से में रखने लगा था। दादी इतना ही बोली कि अ देख जब दिल लग गया तो अपने दिल में दर्द के लिए भी जगह बना लेना । अ यह सुन मुस्कुरा दिया पर बोला कुछ नही । मुझे जिसका डर था वह उस शाम हो गया जब मैडम के घर उनकी सालगिरह पर एक छोटी सी पार्टी चल रही थी । चुकी हम सभी का आखिरी साल था स्कूल में ,इसलिए पुरे क्लास को मैडम ने पार्टी में इनवाईट किया था ।पार्टी चल रही थी सभी गेस्ट पार्टी इंजाव कर रहे थे । अ चोरी से मैडम के बेड रूम में चला गया और मैडम का तकिया अपने बैग में डाल कर वहां से निकल गया । पर निकलते वक्त मैडम के पति ने उसे देख लिया । वह कुछ बोले नही पर अ को ध्यान से देखते रहे । उसके जाते है वह बैड रूम में गये तो वहां सब कुछ वैसा ही था। उनका ध्यान विस्तर पर रखे तकिये पर गया तो मैडम का एक तकिया गायब था । प्रो सहाब तेजी से बाहर आये और अ को खोजने लगे पर अ तब तक वहां से निकल चुका था । जीत यह सब देख रहा था । प्रो सहाब ने जीत से पुछा वह एक लड़का जिसके बाल घुंघराले थे । उसे तुमने देखा। जीत ने कहा नो सर मैने नही देखा ।इस बार फिर जीत झूठ बोल गया । पहली बार जीत का दिल झूठ बोलते समय भीतर ही भीतर कांप गया था । उसके बाद वह भी चुपचाप पार्टी से निकल गया ।उस रात अ ने उस तकिये को अपनी सारी चिठियां पढ कर सुना डाली । उसके बाद रात भर तकिये को सीने से लगाये सोता रहा वह बेखबर सोता रहा । जैसे उसने अपने जीवन का कोई अमूल्य धन पा लिया हो । मुझे डर था कि अब अ का भेद खुल जायेगा । प्रो सहाब ने अ को पहचान लिया है । मैडम से जरूर बात होगी और आज तक जो कुछ भी अ ने किया है वह सब कुछ सामने आ जायेगा। अ कि जिन्दगी में तुफान आने वाला है । उसे स्कूल से बाहर निकाल दिया जायेगा । अ स्कूल में अपमानित होने वाला है । मैं उसे कैसे बचाऊ?
आज इतना ही ,
आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
मिलते है अगले एपिसोड में
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
रवि कांत मिश्र
See you can make him understand that there is very small border between love and attention.
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