इश्क में धडकनो का ना धड़कना जिन्दगी की सबसे बडी त्रासदी । यह त्रासदी रब की बनाई दुनियां में हर रोज होता है । बिना इश्क के धडकते दिल ना जाने कहां कहां नफरत के निशां छोड़ते गुजर जाते है और अब भी गुजर रहे होगें। उनको कोई सज़ा भी नही होती क्यो कि उनकी जिन्दगी खुद अपने आप में एक सज़ा है । वह अपनी जिन्दगी के खुद कैदी है और जिन्दगी उनके लिए वो अंधेरी काल कोठरी है जिसका एक सिरा मौत की दुनिया में जा कर ठहर जाता है ।परंतु अ अलग था उसकी दुनियां अलग थी । अ जीता था या यु कहे कि अ के जरीये जिन्दगी अपने सफर पर थी । अ का पुरा नाम आनंद था । के आनंद था । अ इश्क में था ,इश्क के लिए था ,इश्क के साथ था, इश्क से मिलता था ,,इश्क से बाते करता ,इश्क के साथ साथ पंगडंडी पर चलता ,फिर उससे दूर भागता और फिर दूर जा कर इश्क के लिए तडपता और फिर इश्क के लिए भटकता, उसे फिर उसी गली उसी मोड ,उसी पेड तले ,,उसी नदी के किनारे ,काले बडे से पत्थर पर जहां उन दोनो के एहसास पत्थर के दिलो में धड़क रहे थे । वो पत्थर पर लेट जाता और उसके दिल की धड़कन को सुनने की...
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