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Showing posts from August, 2020
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 मध्य प्रदेश नाट्य विधालय की घटना ने भारत के सभी रंगकर्मियों का ध्यान अपनी ओर आकर्शित किया है । आठ छात्रों को विधालय निदेशक श्री आलोक चटर्जी ने निष्कासित कर दिया है । जो कारण बताये गये उसमे अनुशासन हीनता को आधार बनाया गया है । विधार्थी चार माह जो कोरना काल के कारण क्लास नही कर पाये ,उसकी मांग कर रहे थे । यह मांग कोरोना काल के कारण उत्पन्न हुई है । जो तर्कसंगत लगता है तो दूसरी तरफ यह कहा गया की जुलाई तक का वजीफा इन सभी छात्रों के बैक खाते में आ गया है । अब फिर से चार माह का क्लास तभी संभव हो पायेगा जब सरकार फिर से चार माह का वजीफा इन छात्रो को दे । जिसका कोई निर्देश सरकार से अभी तक विधालय को प्राप्त नही हुआ है । विधालय के निदेशक इस विषय पर राज्य सरकार से संवाद कर रहे है । परिणाम इस लेख के लिखते समय तक नही आया है । निष्कासित विधार्थियों का भविष्य और सम्मान दोनो दांव पर लगा हुआ है । कोरोना काल में मानव के मन में अवसाद का विकास तेजी से हो रहा है । भविष्य अंधेरे में है । इस घोर संवेदन शील काल में हम सभी को मानविये दृष्टिकोण को ध्यान में रख कर कोई भी निर्णय लेना चाहिये । निदेशक महोदय ...
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सफर अभी बाकी है ,,,,

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  आनंद फोन पर मैम से बाते कर रहा था मैम आनंद से कुछ बोल रही थी जिसे आनंद ध्यान से सुन रहा था । बीच बीच में यस मैम कह रहा था । डिम्पल उससे कुछ दूरी पर आ कर खडी हो गई थी । जीत सोफे पर बैठा कभी अ को कभी डिम्पल को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहा था । दो से चार मिनट के बीच मैम की बाते खत्म हो गई और मैम ने फोन कट कर दिया । फोन पर आनंद ने अंत में इतना ही कहा मैम गुड नाईट । अ का चेहरा खुशी से खिल गया था । वह जीत के तरफ पलट कर बोला मैम की जॉब हो गई है । वह कोलकाता छोड़ कर ,,,,इतना ही बोला था कि उसका ध्यान डिम्पल पर गया जो आनंद को एकटक देख रही थी । आनंद बोलते बोलते रूक  गया । वह डिम्पल के तरफ देख कर बोला क्या बात है तुम इस तरह क्यो देख रही हो ? डिम्पल कुछ नही बोली चुपचाप वापस चली गई । उसका यह व्यवाहार अ की समझ में आ गया था पर उसे यह अच्छा नही लगा था । वह जीत को बोला चल छत पर तुझ से कुछ बाते करनी है।  जीत और आनंद दोनो छत के तरफ जाने वाली सीढ़ी के तरफ चले गये । छत पर पहूंच कर अ जीत से बोला मैम सिलोन में है वहां के किसी स्कूल में प्रिंसिपल हो गई है । यह तो गुड न्यूज है जीत खुश होते हुए बो...

सफर अभी बाकी ,,,,,

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34  एपिसोड  जीत  ललचाई हुई ऑखों से डिम्पल को देख रहा था और डिम्पल अ को देख रही थी और अ कभी डिम्पल को कभी जीत को बारी बारी से देख रहा था । अ को स्थिति असहज होती दिखाई दी वह तुरंत डिम्पल से पुछा तुम यहां कैसे आ गई । डिम्पल अ की बात का जवाब ना देकर जीत के तरफ देखी और उसके चेहरे पर चुटकी बजाती हुई बोली हैलो क्या चक्कर है बे? मेरे चेहरे पर छेद करेगा क्या ? बिना फोकस आउट हुए ताड़े जा रहा क्यो ? वो तुम्हे पहली बार देखा है ना इसलिए । अ बात को संभालने की कोशिश की पर डिम्पल अ को डांटते हुए बोली तु चुप कर मुझे इससे निपटने दे नही तो आगे लाईफ में कंफूजन होने वाली है । हां तो जीत मेरे सवालो का सीधा सीधा जवाब दे , हि पूछो क्या पूछना चाहती हो जीत अपने कंधे उचकाते हुए बोला । डिम्पल उसके इस स्टाइल पर मुस्कुरा दी और पुछी तु सिगरेट पीता है ? हा पीता हूं जीत खूश होते हुए बोला । अच्छा तु चिटिंग  करता है ? मॉ कसम अभी एग्जाम में कर के आ रहा हूं ।ओके अब बता पापा के जेब से रूपये निकालते हो ? चोरी करते हो ? हां कभी कभी हाथ साफ कर देता हूं । लडकियो को इंप्रेस करने के लिए उसकी झूठी तारीफ करते हो...

सफर अभी बाकी है,,,

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रात के दस बज कर चालिस मिनट हुए थे । जब आनंद अपने कमरे आया । उसके टेबल पर रखी घडी उसके वापस घर लौटने का समय बता रही थी । आनंद थक चूका था पर उसकी थकावट में भी उसके चेहरे पर ताजगी थी । वह अपना बैग टेबल के पास जैसे ही रखा उसके दिमाग को झटका सा लगा।  उसके टेबल पर चीजे जहां पहले थी वहा ना हो कर कही और थी । क्या किसी ने उसके समान के साथ छेड़ छाड की है? उसका दिमाग ठनका , एक झटका सा लगा उसे, वह तुरंत टेबल के बगल में र खे अपने लौहे के बक्से के तरफ देखा तो वह अपनी जगह से थोड़ा खिसका हुआ था । अ ने तुरंत अपने बक्स को उठा कर टेबल पर रखा और उसे खोला तो उसकी रखी हुई चीजें अस्त व्यस्त थी । मैम को लिखे लैटरस ,उनके पानी का बोतल ,उनका दिया हुआ पेन , वो चॉक के छोटे छोटे टुकड़े जिसे कभी मैम की उंगलियों ने छुए थे । यह देख अ को गुस्सा आ गया।  वह अपने बक्से को बंद कर अपनी जगह रख दिया और तेजी से  कमरे से बाहर निकल गया । छोटी मॉ छोटी मॉ आप कहां है ? मै यहां हूं आनंद क्या बात है ? लिविंग रूम से आवाज आई ।आनंद लिविंग रूम में छोटी मां के पास खडा था छोटी मां सामने सोफे पर बैठी एक मैगजीन पढ रही थी । आनंद...

सफर अभी बाकी है ,,,

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अभी तक जाग रहे हो :दूसरी तरफ से सुचित्रा मैम की आवाज थी । मानस यह सुन एक पल के लिए सिहर सा गया था उसे उम्मिद नही थी कि सुचित्रा का फोन वह भी उस वक्त आ जायेगा  जब वह अपने मन की सुचित्रा से बाते कर रहा हो  । हैलो सुचित्रा मैं अभी तुम्हारे बारे में  ही सोच रहा था । क्या मानस अब भी तुम्हारे पास सोचने को कुछ बचा है ? हा सुचि अब मेरे पास सोचने के लिए वक्त ही वक्त बचा है । तुम्हे कैसे पता चला कि मैं यहां अपने इस घर में हूं। मीठी मैम से अभी अभी बात हुई उसने मुझे बताया , खैर तुमने डिवोर्स पेपर तैयार करवा लिए होगे । यह सुन मानस को धक्का सा लगा दर्द की लहर दिल से उठ कर सारे शरीर में फैलती चली गई । वह दो पल के लिए स्तब्ध रह गया:  फिर वापस अपनी अवस्था में आते हुए बोला सूचि मुझे लगता है कि हमे अपने रिश्ते को एक बार और समझने का मौका देना चाहिये । मानस ऐसा तुम सोचते हो मैं ऐसा नही सोचती । मैने बहुत सोच समझ कर डिसीजन नही लिया था ।पर जो भी डिसीजन हुआ वह मेरी भावना ने लिया और मैं अपने उसी डिसीजन पर कायम हूं। इस लिए मैं अब कुछ सोचने नही चाहती। ठीक है सुचि ,,,मैं तुम्हे सूचि कह सकता हूं ...

सफर अभी बाकी है

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अ चुपचाप चेयर पर बैठा था । प्रो सहाब खिडकी के पास खडे थे और जीत नये फर्नीचर को सेट कर रहा था । थोडी देर बाद जब फर्नीचर सेट हो गया। तो जीत सर के तरफ देख कर बोला सर देख लिजिये सेटिंग सही हुई ना । प्रो सहाब धीरे से सर घुमा कर देखे ,वही सोफा सेट उसी रंग का उसी जगह सेट हो गया था । प्रो सहाब के मन ने कहा हर चीज की एक जगह होती और,जगह के लिए एक चीज होती है ।  इट्स ओ के जीत । सर अ के तरफ देखे और उसके करीब आ कर खडे हो गये अ पहले की तरह चुपचाप बेठा हुआ था । प्रो सहाब हल्का सा मुस्कुरा दिये और बोले । आनंद तुम सही हो अपनी जगह ,पर  यह जो समाज है वह भी अपनी जगह सही होता है । तुम इसे बदल नही सकते ।बस इनके बीच से तुम्हे गुजरना है । पर आज तुम जिस तरह गुजरे हो उसे गुजरना नहो उलझना कहते है । मजबुत होना होगा तुम्हे ।किसी की सोच को सुनना यह नहो सुनना, तुम्हारे हाथ में होना चाहिये । कल कोई और मेरे बारे में तुम्हारे बारे में मैम के बारे में बहुत कुछ अनर्गल बोलेगा । तुम किस किस से लड़ते रहोगे । अ पहली बार सर के तरफ अपना झुका हुआ  चेहरा उठा कर देखा । उसकी ऑखों में अब भी गुस्सा बाकी था । उसकी ऑखों ...

सफर अभी बाकी है

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जीत जैसे ही अपने घर के भीतर कदम रखा वैसे ही उसके पापा की भारी आवाज किसी हथौड़े की चोट की तरह उसके कान के परदे से टकराई। सहाब आ गये । कहां की सैर कर के लौटे है । पापा सामने वाले सोफे पर बैठे थे ।पापा वह मैं आनंद को लेने रेलवे स्टेशन गया था। वो क्या बात है नीम और करेला फिर आपस में मिल गये।  देख जीत ,वह लड़का पागल है । उसकी जिन्दगी का कोई लक्ष्य नही । मुझे मालुम हुआ है कि वह मैडम के बहुत करीब पहूंच गया था । उसके और मैडम के बीच कुछ ऐसा हुआ कि मैडम को शहर छोड कर जाना पडा। क्या झूठ है । पापा आप ऐसा कैसे कह सकते है ? आनंद बहुत ही नेक लड़का है। मैम और सर दोनो उसे बहुत मानते थे । फिर जब मैम यहां से गई तो आनंद असम गया हुआ था । देखो जीत मैं चाहता हूं की तुम आनंद से दूर रहो । इसी में तुम्हारी भलाई है । अपना सारा फोकस अपनी पढाई पर रखो ।भूल जाओ दोस्ती यारी सब और उस प्रोफेसर के पास भी जाना बंद करो । पापा यह नही हो सकता ,मैं घर छोड सकता हूं पर दोस्ती नही छोड सकता । मुझे मालुम था की तुम्हारा जवाब यही होगा । तुम एक बेवकुफ इंसान हो इमोशनल फुल हो । मै तुम्हारी कई गलतियों  को जानता हूं ,,सिगरेट तु...